जब-जब तुम धर्म के लिए लड़ोगे,
फायदा केवल पुजारी का होगा।
राम, कृष्ण, शिव की कहानी सुनाकर,
तुम्हें लड़ाया जाएगा।
तुम लड़ते रहोगे दंगे में,
पुजारी बैठेगा आसन पर।
तुम उस कहानी पर गर्व करते हो,
जिसे लिखने वाला पुजारी है।
जिस कहानी के लिए तुम्हारे पुरखे मरे,
तुम भी लड़ते-लड़ते मर जाओगे।
अगर तुमने आसन पर बैठना चाहा,
तो तुम्हें भी मार दिया जाएगा।
फिर एक नई कहानी लिखी जाएगी,
जिसका रचयिता तुम्हें राक्षस बताएगा।
और तुम्हारी पीढ़ियाँ उस कहानी में गर्व करेंगी,
जिसमें तुम्हें राक्षस बताकर मारा गया।
कहानी का रचनाकार ही तुम्हें लड़ाता है,
अपनी कथाओं पर तुम्हें यकीन दिलाता है।
तुमने लाठी की ताकत पर गर्व किया,
और कथाकार ने कलम की ताकत पर।
तुम खुद कलम क्यों नहीं उठाते?
तुम खुद कहानी क्यों नहीं लिखते?